29-06-2013, 08:35 AM
|
#5
|
VIP Member
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144
|
Re: Untouchability Still Alive in India
Quote:
Originally Posted by dipu
जबलपुर, [पुष्पेंद्र तिवारी]। कहने को तो वह सरपंच है। महिला और दलितों के सशक्तिकरण की नजीर। लेकिन हालात आईना दिखाने वाले हैं। बच्चों का पेट पालने के लिए वह सुबह से घर-घर जाकर भीख मांगती है। आराम के लिए पत्थर का पलंग है। तकिया बोरी में भूसा भरकर बनाया गया है। बिस्तर के नाम पर कुल जमा तीन कंबल हैं। वे भी दूसरों ने दया दिखाकर दिए हैं। रहने के लिए झुग्गीनुमा एक मकान। पूरी गृहस्थी दो-तीन थैलों में समाई हुई है। सरपंची क्या होती है, यह तो उसे पता ही नहीं है। कुर्सी पर आज तक बैठी भी नहीं। यह तस्वीर है दमोह जिले के हटा क्षेत्र की ग्राम पंचायत बछामा की दलित महिला सरपंच रजनी बंसल की।
दमोह जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर बछामा की आबादी करीब 1500 और मतदाता 850 हैं। गांव की अधिकांश आबादी अशिक्षित है। यहां के लोगों की रोजी रोटी वन संपदा और कास्तकारी पर निर्भर है। यहां की सरपंच रजनी का लक्ष्य गांव का विकास नहीं, बल्कि परिवार का पेट पालने के लिए भोजन का इंतजाम करना है। अशिक्षित रजनी जानती भी नहीं है कि उसे सरपंच क्यों बनाया गया है? हां, सरपंच बनने के बाद उसके पति संतोष को मजदूरी मिलनी भी बंद हो गई। अब गांव वाले कहते हैं कि लोगों को काम देना सरपंच का काम है, उनका नहीं।
सरपंच रजनी रोज सुबह घर-घर जाकर भीख मांगती है। किसी के घर से एक रोटी मिल जाती है तो कोई रात का बचा हुआ चावल दे देता है। इसी से वह अपने पांच बच्चों और पति का पेट भरती है। रजनी ने बताया कि सरकारी फरमान के चलते गांव के विरोध के बाद भी राष्ट्रीय पर्व पर झंडा तो उसी ने फहराया, लेकिन कार्यक्रम शुरू होने पर उसे अधिकारियों और कार्यक्रम में उपस्थित हुए लोगों के साथ नहीं बिठाकर सबसे अलग जमीन पर बिठाया जाता है। उसे गांव के लोगों द्वारा बनाई गई मर्यादाओं में ही रहना पड़ता है। वह घर में भी कुर्सी पर नहीं बैठ सकती। यदि कोई उसे कुर्सी पर बैठा देख ले तो फिर गांव के लोग जो अभी उसे रोटी दे देते हैं, वह भी बंद हो जाएगी। ग्राम पंचायत सचिव मोहन यादव ने कहा, लोग कहते हैं कि सरपंच रजनी का शोषण हुआ है, जो कि सही भी है।
|
वह राजनेता नहीं है .......
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
|
|
|