Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
जयपुर साहित्य महोत्सव2015
ज.सा.म. 2015 में एक और विमोचन
जहाँ शशि थरूर की पुस्तक की एक सौ प्रतियां एक घंटे के अंदर अंदर ही बिक चुकी थीं और जिस काउंटर पर थरूर अपनी पुस्तक पर हस्ताक्षर कर रहे थे, वहाँ लोगों में होड़ लगी थी. वहीँ हिंदी पुस्तकों की खरीद के प्रति लोगों में अधिक उत्साह देखने में नहीं मिल रहा था. हम बात कर रहे हैं एक हिंदी पुस्तक के विमोचन समारोह की. पुस्तक का नाम है "कुछ धुंधली तस्वीरें" जिसके लेखक हैं विश्वजीत पृथ्वीजीत सिंह और जिसके विमोचन के लिए उपस्थित थे हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार, लेखक और कवि अशोक वाजपेयी. इस समारोह में गिनती के लोग दिखाई दे रहे थे.
हिंदी के एक अन्य प्रमुख लेखक भी वहां उपस्थित थे. उन्होंने अपनानाम न लिखने की शर्त पर अपना विचार रखते हुए कहा कि यह सिर्फ ब्रैंड मार्केटिंग का कमाल है. थरूर की पुस्तक खरीदने वालों को न तो किताबों से कोई ख़ास लगाव है और न ही इससे कोई वास्ता है कि थरूर ने अपनी पुस्तक में क्या लिखा है? सच्चाई तो यह है कि वे युवा लड़के-लड़कियों में अपनी अपील के कारण बहुत लोकप्रिय हो गए हैं, विशेष रूप से अपनी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मृत्यु से जुड़े विवाद के बाद. उन्होंने महोत्सव के बारे में कहा कि यहाँ पर आप अपने पसंदीदा व मशहूर लेखकों से आसानी से मिल सकते हैं और उनसे बात कर सकते हैं.
विमोचन स्थल पर ही कॉलेज की एक छात्रा शशि थरूर की पुस्तक हाथ में लिए खड़ी थी. पूछने पर वाल बोली कि मैं उनसे (थरूर से) मिल कर आयी हूँ. वह कितने क्यूट हैं !! मैं पिछले वर्ष भी यहाँ आयी थी और झुम्पा लाहिरी से मिली थी और उनकी किताब “The lowland” खरीद कर ले गयी थी. मैंने उनके साथ एक सेल्फी भी खींची थी.
“तो आपने उनकी किताब पढ़ ली?”
“नहीं, मुझे किताब पढ़ने का समय ही नहीं मिला.”
इस बार भी लेखको या बॉलीवुड के लोगों के साथ सेल्फी खिंचवाने की होड़ लगी थी.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|