Re: दोस्ती की ज़रूरत!
दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसमें दो लोग एक दूसरे के समकक्ष होते हैं , कोई किसी से बड़ा नहीं , कोई किसी से छोटा नहीं। कहने को कोई कर्त्तव्य नहीं होता दोस्ती में पर फिर भी पूरे समर्पण के साथ ये रिश्ता ऐसे निभाया जाता है जैसे हमारा कर्त्तव्य ही हो दोस्त के प्रति। एक दूसरे पर इतना अधिकार होता है।
दोस्ती में कोई ज़बरदस्ती नहीं होती , कि दोस्ती निभानी ही है चाहे दिल मिलें या नहीं और शायद यही वजह है कि दिल के सबसे करीब होता है ये रिश्ता।
इतना निस्स्वार्थ प्रेम होता है दोस्ती में , जहाँ हम अपने दोस्त से उम्मीद नहीं करते बल्कि उसकी उम्मीदें पूरी करने के लिए प्रयास करते हैं।
सिर्फ वास्तविक ज़िन्दगी में ही नहीं वर्चुअल लाइफ में भी कभी कभी हम ऐसे लोगों से मिलते हैं जो कब हमारे लिए इतने प्रिय हो जाते हैं कि हमें पता ही नहीं चलता। जिनसे हम न कभी मिले होते हैं , और कभी ज़रूरत भी नहीं होती मिलने की , जिन्हे हमने कभी देखा नहीं होता , और देखने की इच्छा भी नहीं होती , जिनकी आवाज़ भी नहीं सुनी होती पर फिर भी पता होता है कि हमारे लिए वो सदैव मौजूद रहेंगे। हर कोई खुशनसीब नहीं होता कि उसे अच्छे दोस्त मिलें , पर जिसे अच्छे दोस्त मिलते हैं वो सच में खुशनसीब ही होता है।
मैं मानती हूँ कि जैसे प्यार किया नहीं जाता हो जाता है , ठीक उसी तरह दोस्ती भी की नहीं जाती वो भी स्वाभाविक रूप से ही होती है। कभी कभी हम सालों किसी के साथ काम करते हैं , बात करते हैं पर वो हमारे दिल के उतना करीब नहीं पहुँच पता , और कभी कभी कोई शख्स जिसे हम चंद लम्हों पहले मिले होते हैं हमारा सबसे करीबी बन जाता है।
किस्मत वाले होते हैं वो लोग जिन्हे अच्छे दोस्त नसीब होते हैं।
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