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Originally Posted by rajnish manga
बहुत सुंदर उद्गार. जीवन में बहुत से मरहले ऐसे भी आते हैं जब उसका चिंतन आध्यात्मिक या दार्शनिक होने लगता है. यह रचना भी उन्हीं क्षणों की देन है. जीवन में जो मिला जैसा मिला उसे ईश्वर की कृपा समझ कर उसका उत्सव मनाना बहुत बड़ी बात है. और उसके ऊपर ईश्वर को दोस्ती का निमंत्रण देना तो बिलकुल अनोखा ख़याल है. एक श्रेष्ठ कविता शेयर करने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद, बहन.
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बहुत बहुत आभारी हूँ भाई आपसे इतनी प्रसंशा मिलने से आगे लिखने का प्रोत्साहन मिला है मुझे
कविता के मर्म को आपने सही पहचाना है . किन्ही कारण वश शब्द कहीं कहीं जमे नहीं इसलिए अपनी इस त्रुटी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ . बहुत धन्यवाद .