नेत्रदान महादान
दोस्तों,
अगर वास्तव में अमर होना है तो नेत्रदान का संकल्प आज ही नहीं अभी ही लीजिए। अपने इस संकल्प के विषय में यह भी सुनिश्चित कर लें कि मरने के बाद आपकी इस इच्छा का सम्मान कर वास्तव में नेत्र दान किया ही जाएगा। सोचिए अगर वास्तव में मर कर आप किसी के काम आ जाए तो इससे सार्थक बात और क्या हो सकती है। दुनिया में कितने ही ऐसे हैं जो प्रकृति की खूबसूरती से वंचित है। मृत्यु बाद आप चाहे तो कम से कम दो लोगों का तो सपना पूरा कर ही सकते हैं।
नेत्रदान के विषय में जुड़ी भ्रांतियों के कारण लोग अभी भी जागरूक नहीं है। वास्तव में मौत के बाद शव से पूरी आंख नहीं निकाली जाती है। मात्र कार्निया को सुरक्षित रख लिया जाता है और 48 घंटे में उसे दो जरूरतमंद में प्रत्यारोपित भी कर दिया जाता है। शव से आंख निकाली भी गई है इसका देखने से पता नहीं चलता है। इस काम में आधे से पौने घंटे लगता है। यह जरूरी है कि मृत्यु के 6 घंटे के अंदर यह काम सम्पन्न करा लिया जाए।
नेत्रदान के विषय में कोरी अफवाह यह है कि यह प्रकृति से खिलवाड़ है। ऐसा करने से अगले जन्म में मृतक बिना आंख के पैदा होगा। वास्तव में यह प्रकृति से खिलवाड़ नहीं बल्कि प्राकृतिक असमानता को दूर करने का प्रयास है। इस विषय में गंभीरता से सोचें।
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अच्छा वक्ता बनना है तो अच्छे श्रोता बनो,
अच्छा लेखक बनना है तो अच्छे पाठक बनो,
अच्छा गुरू बनना है तो अच्छे शिष्य बनो,
अच्छा राजा बनना है तो अच्छा नागरिक बनो
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