Re: ज़रा इधर भी...
हम लोगों की बातचीत जैसे ही शुरू हुई, भोजनालय के साथ ही लगी मस्जिद से अज़ान की आवाज़ आने लगी। इसी के साथ इफ़्तार का वक़्त हो गया और मित्रा भी अन्य रोज़ेदारों के साथ वहां बैठ गए।
भोजनालय के मालिक नईमुद्दीन मित्रा को कई दशक से जानते हैं। वो कहते हैं, “जब हमने पहली बार सुना कि मित्रा भी हम लोगों की तरह रोज़ा रखते हैं तो हमने इसका स्वागत किया।” सामान्य तौर पर मित्रा घर पर ही रोज़ा तोड़ते हैं लेकिन कभी-कभी वो यहां भी आते हैं।
रमज़ान के अलावा मित्रा मार्च-अप्रैल के महीने में भी व्रत रखते हैं। इसकी वजह वे बताते हैं, “एक बार मेरी पत्नी ने मुझसे पूछा कि हिन्दू होकर आप रोज़ा रखते हैं, लेकिन अपने धर्म से जुड़ा कोई व्रत आप क्यों नहीं रखते।
तो ये बात मुझे लग गई। मैंने कहा कि अब मैं चैत्र के महीने में व्रत रखूंगा जब बंगाल के भूमिहीन श्रमिक गजन नाम का एक स्थानीय त्योहार मनाते हैं। इस तरह से मैं साल में दो महीने व्रत रखता हूं।” और व्रत के दौरान मित्रा संगीत और किताबों के साथ ही रहना पसंद करते हैं।
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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