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Old 11-10-2015, 03:36 PM   #2
Pavitra
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Default Re: हस्त मुद्रा चिकित्सा

कुछ विशेष हस्त मुद्राएँ जिनके निरन्तर अभ्यास से हम अपने शरीर को स्वस्थ्य बना सकते हैं -

1- ज्ञान मुद्रा - ज्ञान मुद्रा के निरन्तर अभ्यास से व्यक्ति का मस्तिष्क मजबूत होता है । मन एकाग्र रहता है , तनाव से मुक्ति मिलती है । इस मुद्रा से मानसिक विकृतियाँ दूर होती हैं और स्मरण शक्ति बढती है ।

मुद्रा बनाने का तरीका - अपनी तर्जनी उंगली और अँगूठे के अग्र भाग को आपस में मिलाएँ एवं बाकी उंगलीयों को सीधा रखें ।



2- वायु मुद्रा - वायु मुद्रा के अभ्यास से व्यक्ति की वात सम्बन्धी बीमरियाँ दूर होती हैं । घुटनों के दर्द , गैस की परेशानी , कमर दर्द , जोडों का दर्द आदि में यह मुद्रा लाभकारी है । गैस की शिकायत होने पर वज्रासन में बैठ कर यह मुद्रा करने से लाभ होता है ।

मुद्रा करने का तरीका - अपनी तर्जनी उंगली को मोडें और उसके पहले जोड पर अपना अँगूठा रख कर हल्का दबाव डालें।



3- आकाश मुद्रा - आकाश मुद्रा हृदय रोग में , हड्डियों के लिये , धैर्य वृद्धि हेतु लाभकारी होती है । कान सम्बन्धी रोग , बहरापन , कान बहना आदि में भी ये विशेष लाभकारी रहती है । यह मुद्रा शान्तिपूर्ण वातावरण में वज्रासन में करने पर ज्यादा फायदेमन्द रहती है ।

मुद्रा करने का तरीका - अपनी मध्यमा उंगली और अँगूठे के अग्र भाग को मिलाएँ एवं बाकी उंगलियों को सीधा रखें ।



4- प्राण मुद्रा - इस मुद्रा के अभ्यास से प्राण शक्ति जागृत होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है । नेत्र रोगों में , शारिरिक कमजोरी , थकान दूर होती है । शरीर में चैतन्य और उत्साह का सन्चार होता है ।

मुद्रा करने का तरीका - अनामिका एवं कनिष्ठा उंगली को मिलाकर अँगूठे के अग्र भाग से मिलाएँ एवं बाकी उंगलियों को सीधा रखें ।



5- पृथ्वी मुद्रा - इस मुद्रा के अभ्यास से शारिरिक रूप से दुर्बल व्यक्ति की दुर्बलता दूर होती है । विटामिन A की कमी पूरी होती है । थकान दूर होती है और ताकत आती है । स्थूल व्यक्तियों को यह मुद्रा नहीं करनी चाहिये ।

मुद्रा करने का तरीका - अनामिका उंगली एवं अँगूठे के अग्र भाग को आपस में मिलाएँ एवं बाकी उंगलियों को सीधा रखें ।



6- वरुण मुद्रा - वरुण मुद्रा के अभ्यास से व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी पूरी होती है । त्वचा सम्बन्धी समस्त रोगों के लिये यह मुद्रा बहुत ही लाभदायक है । इस मुद्रा के प्रयोग से त्वचा की कान्ति बढती है , डीहाइड्रेशन की समस्या दूर होती है , शरीर का तेज बढता है ।

मुद्रा करने का तरीका - कनिष्ठा उंगली एवं अँगूठे के अग्र भाग को आपस में मिलाएँ और बाकी उंगलियाँ सीधी रखें ।

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Last edited by Pavitra; 11-10-2015 at 03:41 PM.
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