Re: नेहरु भी चाहते थे कश्मीर में जनमत संग्रह
विलय का मुद्दा
3. 2 नवंबर, 1947 को आकाशवाणी पर राष्ट्र के प्रसारित नाम अपने संदेश में पंडित नेहरू ने कहा, "संकट के इस समय में हम यह सुनिश्चत करना चाहते हैं कि कश्मीर के लोगों को अपनी बात कहने का पूरा मौका दिए बिना कोई भी फैसला न लिया जाए. अंततः निर्णय उन्हें ही लेना है... और मैं यह साफ़ कर देना चाहूंगा कि हमारी नीति यही रही है कि जहाँ भी किसी राज्य के दोनों में से एक देश में विलय के बारे में विवाद हो, विलय पर निर्णय उस राज्य के लोगों को ही लेना चाहिए. इसी नीति के तहत हमने कश्मीर के विलय के समझौते में यह शर्त शामिल की थी."
4. 3 नवंबर, 1947 को राष्ट्र के नाम एक अन्य प्रसारण में पंडित नेहरू ने कहा, "हमने यह घोषणा की है कि कश्मीर के भाग्य का निर्णय अंततः वहाँ की जनता के द्वारा ही किया जाएगा. यह वचन हमने केवल कश्मीर के लोगों को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को दिया है. हम इससे पीछे नहीं हटेंगे और हट भी नहीं सकते."
5. पाकिस्तान के प्रं. मं. को लिखे अपने एक पत्र सं. 368 Primin, दिनांकित 21 नवंबर, 1947, में पंडित नेहरू ने कहा, "मैंने बार-बार यह वक्तव्य दिया है कि जैसे शांति तथा व्यवस्था स्थापित हो जाएगी, कश्मीर को किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था, जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ, के तत्वावधान में जनमत (प्लेबीसाइट या रेफ़रेंडम) के द्वारा विलय का फ़ैसला करना चाहिए."
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