दीप में रोशनी है......
टूट ही तो गया है सितारों का मन
रेशमी इन इशारों को फ़िर मत बुनो ।
एक सपना संजोया था मैंने कभी
पंखुडी पंखुडी हो बिखरता गया
देख कर उनके बदले हुए रूप को
रंग चेहरे का मेरे उतरता गया ...
धुप के हर पसीने की अपनी कथा
छाव में बैठ कर इस तरह मत सुनो ।
दीप में रोशनी है जलन भी तो है
मोम के इस बदन में गलन भी तो है
कि जीने की लगन है बहुत प्यार में
कि मरने का अनूठा चलन भी तो है ...
इन अंधेरों में मिलता बहुत चैन है
इन उजालों को तुम इस तरह मत चुनो ।