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Originally Posted by kamesh
न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरजू थी मुलाकात की
सितारों की महफ़िल यूं न ही साथ थी
कहा दिन गुजारी कहाँ रात की
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जो मुझको अगर ये होता पता /
कि सजा के क़ाबिल है मेरी ख़ता /
रूठ कर तन्हा चले जाओगे /
छोड़ पल भर मेँ हमको चले जाओगे /
हर लम्हे को मुस्कुरा , थाम कर /
ज़िन्दगी का उनसे पूछ लेते पता /
आपका पुनः स्वागत है ।