Re: कहानी का रूपान्तरण
'नानावटी के मुकदमे' की कहानी का सारांश प्रस्तुत करने के बाद अब कहानी के उन मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हैं जिनके कारण इस कहानी को अति विशिष्ट और अद्वितीय प्रेम-कहानी का दर्जा प्राप्त हो गया-
१. कहानी का अति विशिष्ट भाग बचाव पक्ष के प्रारूप में निहित है और हमने इसे मोटे अक्षरों में दर्शाया है-
....an angry Nanavati swore at Prem and proceeded to ask him if he intends to marry Sylvia and look after his children. Prem replied, "Will I marry every woman I sleep with?",....
अर्थात्-
....प्रेम को देखकर क्रुद्ध नानावटी ने पूछा कि क्या वह सिल्विया से शादी करके उसके बच्चों की देखभाल करेगा? प्रेम ने कहा- 'क्या मैं उन सभी लड़कियों से शादी कर लूँ जिनके साथ मैं सोता हूँ?'....
नानावटी और प्रेम के मध्य घटित उपरोक्त संवाद का मूल उद्देश्य है- 'नानावटी अपनी पत्नी सिल्विया का विवाह उसके प्रेमी प्रेम के साथ करने के लिए तैयार था।'
कहानी के इस मूल उद्देश्य को ही केन्द्रीय विचार (Central Idea) कहते हैं। कुछ लोग इसे 'कहानी की आत्मा' भी कहते हैं। इस केन्द्रीय विचार पर आधारित लघुकथा हो, कहानी हो, नाटक हो या उपन्यास हो- कहानी का यह केन्द्रीय विचार बिना किसी परिवर्तन के अपने मूल स्वरूप में ही रहेगा, अर्थात्- 'पत्नी का विवाहेतर सम्बन्ध संज्ञान में आने के बाद कहानी का नायक अपनी पत्नी का विवाह उसके प्रेमी के साथ कराना चाहेगा।'
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