27-11-2013, 11:24 AM
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#11
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Re: हिम्मते मरदा :.........
बहादुर बाला के हौसले का सम्मान......
एवरेस्ट से भी ऊंचे हैं इरादे :.....
सच हुआ सपना :
वापस लौटने के बाद मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। जब मैं अपने घर अंबेडकर नगर (उ.प्र.) वापस लौट रही थी तो बारिश के बावजूद सैकडों की तादाद में लोग फूल-मालाएं लेकर मेरे स्वागत में खडे थे। अपने प्रति लोगों का ऐसा स्नेह देखकर मेरी आंखें भर आई। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरा सपना सच हो गया है। मैं फिजिकली चैलेंज्ड लोगों का दर्द समझती हूं। इसलिए भविष्य में उनके लिए स्पोर्ट्स अकेडमी स्थापित करना चाहती हूं, ताकि वहां उन्हें अच्छी ट्रेनिंग दी जा सके। मुझे पूरा यकीन है कि मेरा यह सपना जरूर सच होगा।
अभियान से जुडी कुछ यादें :
-माउंट एवरेस्ट की चढाई और वहां से वापस लौटने में अरुणिमा को कुल 27 घंटे लगे। इस दौरान वह लगातार चलती रहीं क्योंकि इतने कम तापमान में लगातार बॉडी मूवमेंट बहुत जरूरी है। ऐसे रास्ते में अगर कोई व्यक्ति रुक कर सुस्ताने की कोशिश करे तो यह उसके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
- माउंट एवरेस्ट की चोटी पर वह मात्र 20 मिनट के लिए रुकीं क्योंकि वहां का तापमान -60 डिग्री था। इतनी ठंडक में वहां इससे ज्यादा देर तक रुकना संभव नहीं होता।
- लौटते वक्त अरुणिमा का कृत्रिम पैर खुलकर अलग हो गया था। फिर उन्होंने बडी मुश्किल से दोबारा अपने पैर को फिक्स किया, तब आगे बढीं।
- जब उन्होंने कृत्रिम पैर को सेट करने के लिए दस्ताने से अपने हाथ बाहर निकाले तो उनके हाथों में फ्रॉस्ट बाइट (अत्यधिक ठंड से टिश्यूज की क्षति) हो गया था, जो बाद में ठीक हो गया। - वापस लौटने के बाद जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अरुणिमा को फोन करके बधाई दी तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था।.......
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Last edited by Dr.Shree Vijay; 27-11-2013 at 11:33 AM.
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