साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
हिंदी ही क्या समस्त भाषाओं में साहित्यकारों के जीवन में बहुत से विनोद प्रसंग जुडे रहते हैं। इन प्रसंगों से गंभीर दिखने वाले रचनाकारों की एक सहज और आत्मीय छवि बनती है। हिंदी साहित्य की ऐतिहासिक पत्रिका ‘सरस्वती’ में कीर्तिशेष संपादक स्व. श्रीनारायण चतुर्वेदी ने महान साहित्यकारों के ऐसे रोचक और मनोरंजक संस्मरणों की एक पूरी शृंखला प्रकाशित की थी। उर्दू साहित्य में इसकी पुरानी परंपरा रही है और इसी वजह से उर्दू के महान रचनाकारों के बारे में आम जनता में भी बहुत से लतीफे प्रचलित हैं। मीर, गालिब के शेरों से सामान्य व्यक्ति भी परिचित है और उनके रोचक प्रसंगों से भी। इस सूत्र में प्रस्तुत करूंगा कुछ ऐसे ही रोचक एवं मनोरंजक संस्मरण।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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