Thread: पिता
View Single Post
Old 14-01-2015, 02:20 PM   #4
DevRaj80
Special Member
 
DevRaj80's Avatar
 
Join Date: Dec 2011
Location: किसी के दिल में
Posts: 3,781
Rep Power: 33
DevRaj80 has a brilliant futureDevRaj80 has a brilliant futureDevRaj80 has a brilliant futureDevRaj80 has a brilliant futureDevRaj80 has a brilliant futureDevRaj80 has a brilliant futureDevRaj80 has a brilliant futureDevRaj80 has a brilliant futureDevRaj80 has a brilliant futureDevRaj80 has a brilliant futureDevRaj80 has a brilliant future
Default Re: पिता

छायादार वृक्ष के समान है पिता

पिता अर्थात छायादार वह बड़ा वृक्ष, जिसमें बचपने की गौरेया बनाती है घोसला...। पिता अर्थात वह अंगुली, जिसे पकड़कर अपने पांव पर खड़ा होना सीखता है, घुटनों के बल चलने वाला...। पिता अर्थात वह कांधा, जिस पर बैठकर शहर की गलियों से दोस्ती करता है नन्हा मुसाफिर...।

पिता अर्थात एक जोड़ी वह आंख, जिसकी पलकों में अंकुरते हैं बेटे को हर तरह से बड़ा करने के हजारों सपने...। पिता अर्थात वह पीठ, जो बेटे को घुड़सवारी करवाने के लिए तैयार रहती है हरदम...।

पिता अर्थात वह लाठी, जो छोटे पौधे को सीधा करने के लिए खड़ी और गड़ी रहती है साथ-साथ...। पिता अर्थात हाड़-मांस की वह काया, जिसमें पलता है बच्चों का दुलार-संस्कार...। पिता अर्थात वह ईश्वर, जिसका अनुवाद होता है, आदमी की शक्ल में।
__________________

************************************

मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .

तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...

तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..

एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,

बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..

*************************************
DevRaj80 is offline   Reply With Quote