Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
कुछ दिन से आने जाने से जान सका था कि राधा बहुत गंभीर लड़की है पर उसके चेहरे पर हमेशा हंसी की एक पतली रेखा तैरती रहती था पर आज अपने बहन के मुंह से दुल्हे और ससुराल के बारे में बातें सुन कर उसके चेहरे पर उदासी छा गई और लगा जैसे वह रो देगी और बोल पड़ी...
‘‘देख दीदी हमर ससुराल के बारे में कुछ बात मत कह नै तो हम यहां नै रहबै, हम्मरा इ सब नै सोहाबो है’’
काहे नै सोहाबो है ? सैंया के छोड़ देमहीं कि, की खराबी है उनखा में।’’
‘‘हां छोड़ देबै, हम कहिनों उ घर में नै जइबै’’ राधा के प्रतिकार की भाषा एकदम कठोर थी और अमूमन अपनी बड़ी बहन से शालीनता से बात करने वाली राधा आज तन कर जबाब दे रही थी।
उधर रीना को मेरा राधा के घर आना जाना नहीं सुहा रहा था और वह इस बात से चिढ़ तो पहले से ही रही थी इसका विरोध करने लगी। एक दिन आकर घर में धमक पड़ी। फूआ के सामने किताब और पढ़ाई की बातें हुई और उसके जाते ही बरस पड़ी।
‘‘खूब मस्ती हो रहलै है रधिया के साथ, हमरा ई सब नै सोहाबो है, जादे स्माट बने के कोशीश नै करींह।’’ खूब जनोहिए कि उ छौड़ी कतना मर्दमराय है’’
‘‘अउसन कोई बात नै है जे तों समझ रहलीं हें, भौजी बोलालें हकखीन त की करिये।’’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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