Re: बाबू लोहा सिंह
लोहा सिंह के बोले गए कुछ डायलॉग अभी भी मुझे याद है:
"जानते है फाटक बाबा, जब हम काबुल का मोर्चा पर था, तब साहेब का मेम और मेमीन लोग हमको बिस्कुट का मोरब्बा खिलाता था आउर लोटा मे चाह पियाता था।"
"ये बुलाकी, आज गाव मे आपरेशन का कारपोरसन (ऑपरेशन का कार्यक्रम) है आउर कनटोपर (कमपाउंडर) बाबू अबही तक नहीं आए है।"
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