Re: इधर-उधर से
गुजराती थेपला
हमारे यहाँ यह गुजराती थेपला सुबह नाश्ते के समय महीने में कई बार बनाया जाता है. सब लोग इसे लाइक करते हैं और रूचि पूर्वक खाते हैं. अब सवाल उठता है कि गुजराती थेपला पंजाबियों के यहाँ कैसे बनने लगा. सो यह भी एक मजेदार घटना है. लगभग पांच वर्ष पहले मैं और मेरी पत्नि प्रगति मैदान में लगने वाले अंतर्राष्ट्रीय मेले में घूमने गए थे. कई पवेलियन घूमने के बाद हम गुजरात के पवेलियन में पहुंचे. वहां घूमते घूमते शाम के लगभग चार बज गए थे. हमें भूख भी लगने लगी थी. इतने में हमें पता लगा कि छत पर खाने पीने के कई स्टाल लगे हैं. हम ऊपर गए तो एक स्टाल पर सामने थेपला बना रहे थे. काफी लोग खा रहे थे. पूछने पर हमें बताया गया कि यह थेपला है.
हमने दो प्लेट थेपला का आर्डर दिया. एक प्लेट में दो थेपले, आलू की तरीदार सब्जी तथा प्याज टमाटर का रायता दिए गए थे. वहां बैठने की जगह नहीं थी. अतः हम उसे ले कर नीचे आ गए और पवेलियन की तीन फुट ऊंची बाउंड्री वाल पर बैठ कर खाने लगे. सच पूछिए तो यह खाना इतना स्वादिष्ट लगा कि हम उसके हमेशा के लिए मुरीद हो गए.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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