Re: निंदक नियरे राखिये
धन्यवाद सोनी पुष्पा जी ,आपको ये विषय पसंद आया और आपने अपने विचार रखे। मैं आपके विचारों से काफी हद तक सहमत हूँ। ये हर व्यक्ति पर अलग -अलग निर्भर करता है की वो अपनी निंदा को किस तरह लेता है ,उसे आगे बढ़ने का जरिया बनाता है या निराशा से घिर जाता है। ये बहुत कुछ हमारी परवरिश और हमारे स्वभाव पर निर्भर करता है। अगर हमें बचपन से ही हमारी गलत बातों और कमियों के बारे में सही ढंग से बताया जाए और सुधरवाया जाये तो हम बड़े होकर भी इसे सकारात्मक रूप में ही लेते हैं।
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