Re: शेरो-शायरी में मुहावरे
उधेड़ना-बुनना (1)
किसी व्यक्ति द्वारा एकांत में किसी समस्या या उसके समाधान के बारे में तनावपूर्ण स्थिति में सोच-विचार करना.
उदाहरण:
कुछ आप ही गिरा के, आप ही कुछ चुनता है
कहता है कुछ आप ही, आप ही कुछ सुनता है
ऐ ‘दर्द’ देख हमको हमेशा ये दिले-ए-दीवाना
क्या कुछ उधेड़ता है, आप ही कुछ बुनता है.
(शायर: दर्द)
उधेड़-बुन (2)
उदाहरण:
क्या क्या हिर्सो-हवस की धुन है दिल को
किस किस ढब की उधेड़बुन है दिल को
तशवीशे मआश मग्ज़े-जां खाती जाती है
दुनिया की गरज़ तलाश, धुन है दिल को.
(शायर: मिर्ज़ा अली नकी ‘महशर’)
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|