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Old 02-12-2013, 05:51 PM   #168
rajnish manga
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Default Re: इधर-उधर से

अन्ना पति से तलाक लेने के लिए तरसती है। जब उसे प्यार का इतना बड़ा सरोवर मिला है तो वह निर्दयी पति के साथ रूखी-सूखी जिंदगी क्यों बिताये? लेकिन उसका पति उसे तलाक देने से इन्कार कर देता है। अन्ना अपने प्रेमी ब्रान्सकी के साथ विवाह कर प्रतिष्ठित जीवन नहीं जी सकती। उसके पूर्व परिचित मित्र प्रियजन और समाज का प्रतिष्ठित वर्ग उसे व्यभिचारिणी कह उससे बचना चाहता है। यहां तक कि वह थियटर भी नहीं जा सकती। अन्ना को चारदीवारी में बंद रहकर, घुट-घुट कर अपना समय काटना पड़ता है। जब कि ब्रान्सकी मजे से समाज में घूमता फिरता है।

अन्ना अपने प्यार पर सब कुछ क़ुर्बान कर देती हैघर, बेटा, प्रतिष्ठा। इन हालातों का असर उसके दिमाग पर होता है और वह मानसिक रोग की शिकार हो जाती है। वह सदा भयभीत रहती है, चिड़चिड़ी और तनाव-ग्रस्त हो जाती है। रिश्ता तनावपूर्ण हो जाता है, और ब्रान्सकी के प्यार का झरना सूख जाता है। सब तरफ से असफल, हताश अन्ना स्वयं को बदनसीब समझने लगती है। और निराशा के गहन क्षण में अपने आपको ट्राम के नीचे झोंक देती है।

मृत्यु के उपरांत भी समाज उसकी भर्त्सना ही करता है। ब्रान्सकी की मां उसके बारे में कहती है : ‘’वह बदज़ात औरत थी। इतनी विवश वासना। सिर्फ कुछ असाधारण करने के चक्कर में उसने अपना और दो शानदार पुरूषों का विनाश कर दिया।‘’

उसकी नन्हीं, ब्रान्सकी से पैदा हुई बेटी भी बाद में उसके पति के पास ही चली जाती है।

अन्ना का अपराध इतना था कि उसने एक ऐसे पुरूष से प्रगाढ़ प्रेम किया जो उसका पति नहीं था। लेकिन रशिया के सुसंस्कृत, प्रतिष्टिथ समाज ने उसे ऐसा नारकीय जीवन जीने को मजबूर कर दिया कि उससे उसे मृत्यु अधिक सार्थक मालूम हुई।

टॉलस्टॉय ने यह उपन्यास उस समय लिखा जब वह रशियन समाज से वितृष्ण हो चुका था। उच्चवर्गीय समाज के नकली मूल्य, उनका पाखंड, उनका छिछोलापन, संस्कृति की गिरावट, उनका सबका सशक्त पारदर्शी चित्रण करने के साथ-साथ वह समाजिक समस्याओं का भी वर्णन करता है। जैसे किसान और जमींदार, स्त्री और पुरूष का भेदभाव, अन्ना कैरेनिना की मृत्यु

की घटना के सहारे वह जीवन और मृत्यु की मूलभूत पहेली की दार्शनिकता भी दिखाना चाहता था।

अन्ना कैरेनिना रशियन साहित्य की सर्वाधिक लोकप्रिय नायिकाओं में से एक है। उसका अभिभूत कर देनेवाला सौंदर्य इस गहरे और समृद्ध उपन्यास के वातास को धेरे रहता है। टॉलस्टॉय के अनुसार यह जीवन के शाश्वत, अबूझ और विरोधाभासों को सुलझाने का एक ललित प्रयास है। उपन्यास का प्रारंभ जिस वक्तव्य से होता है। वह वक्तव्य ही टॉलस्टॉय की गहरी अनंतदृष्टि का प्रतीक है।

‘’सारे सुखी परिवार एक जैसे होते है; लेकिन हर दुःखी परिवार अपने ही ढंग से दुखी होता है।‘’

यह उपन्यास जिस काल में लिखा गया 187577, उसमे समय की गति बहुत धीमी थी। लोगों के पास बहुत वक़्त था। इसलिए 804 पृष्ठों की प्रदीर्घ किताब पढ़ना उनके लिए बड़ा मुश्किल मामला नहीं था। आज की आपाधापी में जो इतना लंबा कागजी सफर करने को तैयार हो, वही इस उपन्यास के संपन्न ताने बाने का आनंद ले सकता है।


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Last edited by rajnish manga; 02-12-2013 at 07:04 PM.
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