Re: पापा की सज़ा
हिम्मत जुटाने की आवश्यक्ता महसूस हो रही थी। मैं अपने पापा को एक कातिल के रूप में कैसेदेख पाऊंगी। एक विचित्र सा ख्याल दिल में आया, काश! अगर मेरी ममी को मरनाही था, उनकी हत्या होनी ही थी तो कम से कम हत्यारा तो कोई बाहर का होता।मैं और पापा मिल कर इस स्थिति से निपट तो पाते। अब पापा नाम के हत्यारे सेमुझे अकेले ही निपटना था। मैं कहीं कमज़ोर न पड़ जाऊं.. .
ममी कोअंतिम समय कैसे महसूस हो रहा होगा..! जब उन्होंने पापा को एक कातिल के रूपमें देखा होगा, तो ममी कितनी मौतें एक साथ मरी होंगी..! क्या ममी छटपटाईहोगी..! क्या ममी ने पापा पर भी कोई वार किया होगा..! सारी उम्र पापा कोगॉड मानने वाली ममी ने अंतिम समय में क्या सोचा होगा..!ममी.. प्रामिस मी, यू डिड नॉट डाई लाईक ए कावर्ड, मॉम आई एम श्योर यू मस्ट हैव रेज़िस्टिड..!
मैनेहिम्मत की और घर को ताला लगाया। बाहर आकर कार स्टार्ट की और चल दी उस घरकी ओर जिसे अपना कहते हुए आज बहुत कठिनाई महसूस हो रही थी। ममी दुनियां हीछोड़ गईं और पापा - जैसे अजनबी से लग रहे थे। रास्ते भर दिमाग़ में विचारखलबली मचाते रहे। मेरे बचपन के पापा जो मुझे गोदी में खिलाया करते थे..!मुझे स्कूल छोड़ कर आने वाले पापा .. ..! मेरी ममी को प्यार करने वालेपापा.. ..! घर में कोई बीमार पड़ जाए तो बेचैन होने वाले पापा ..! ट्रेनड्राइवर पापा ..! ममी और मुझ पर जान छिड़कने वाले पापा ..! कितने रूप हैंपापा के, और आज एक नया रूप - ममी के हत्यारे पापा ..! कैसे सामना कर पाऊंगीउनका.. ..! उनकी आंखों में किस तरह के भाव होंगे..! सोच कहीं थम नहीं रहीथी।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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