Re: पापा की सज़ा
इसलिए कहा जाता है की कितनी भी बड़ी मुसीबत क्यूँ न आये इन्सान को खुद का मानसिक संतुलन नहीं गवाना चाहिए यदि हम दुःख के समय या परेशानियों में टूट जाते हैं तब एइसे हालत खड़े होते हैं कोई भी बात मन को चुभ रही हो तो उसे मन में स्थान देने की बजाय इग्नोर करना चाहिए वर्ना एक छोटी सी बात बड़ा घाव बनकर नासूर बन जाती है .
ये कहानी आज के समय की सत्यता है भाई .. इंसानों को आज हजारो समस्याओं ने घेर रखा है और एइसे में , एइसे किस्से समाज में बनते जा रहे हैं कही पैसे के लिए, कही रिश्तों के लिए, अहिं आभाव तो कही बीमारियाँ हैं जिसने समाज को एईसी कहानिया बनाने के लिए मजबूर किया है .
बहुत अच्छी कहानी सेर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद भाई
|