22-01-2015, 07:53 PM
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Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
जयपुर साहित्य उत्सव 2015 में जावेद अख्तर
हिंदी फिल्मों के बेहतरीन गीतकार जावेद अख्तर की जयपुर साहित्य उत्सव में शिरकत बहुत मजेदार रही. उन्होंने हिंदी फिल्मों में गीत व संगीत के गिरते स्तर पर अपनी चिंता प्रगट की. उन्होंने उपस्थित श्रोताओं से कहा कि वे भी इस गिरावट के लिए ज़िम्मेदार हैं. जावेद ने जनता से, विशेष रूप से युवा पीढ़ी के श्रोताओं से, अपील की कि वे अपने-अपने तरीके से बेहतर गीत और संगीत की मांग को उचित माध्यमों और मंचों से उठाते रहें.
जयपुर साहित्य उत्सव को एक गीतात्मक शुरुआत देते हुये जाने माने गीतकार व कहानीकार-स्क्रीन-स्क्रिप्ट लेखक जावेद साहब ने ‘गाता जाये बंजारा- उर्दू, हिंदी, हिन्दुस्तानी के गीत’ सत्र में कहा कि हिंदी फिल्मों में शुरुआत से ही गाने फिल्मों का एक अभिन्न अंग रहे हैं. यहाँ तक कि पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ में भी लगभग 50 गीत शामिल थे. यह पिछली शताब्दी के तीसरे दशक के अंतिम भाग की बात है. फिल्मों से पहले भी लोक मंचों पर रामलीला व कृष्णलीला प्रस्तुत की जाती थी जिसमें गीत संगीत एक प्रमुख अंग होते थे. नाटकों में अन्य नाटकों की तरह ‘हीर रांझा’ नाटक भी इसी शैली का पोषण करता था. पारसी थिएटर के नाटकों में भी गीत संगीत का भरपूर महत्व होता था.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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