लोग माला क्यों फेरते हैं?
माला एक पवित्र वस्तु है ! यह शुद्ध तथा पवित्र वस्तुओ से बनाई जाती है ! इसमें १०८ मनके (दाने) होते हैं !यह १०८ मनके साधक को जप संख्या की गणना करने में सहायक होते हैं ! इन १०८ मनको का भी एक रहस्य है !भारतीय मुनियों ने एक वर्ष में २७ नछत्र बताये हैं ! प्रत्येक नछत्र के ४ चरण होते हैं ! इस प्रकार २७*१०४= १०८ हुए ! यह संख्या पवित्र ही नहीं अत्यंत पवित्र मानी गयी है !
जप करते समय साधक को होंठ एवं जीभ को हिलाना पड़ता है ! इससे कंठ की ध्वनिया प्रभावित होती हैं ,जिसके कारण साधक को कंठमाला,गलगंड आदि रोग होने की सम्भावना बनी रहती है ! इस प्रकार के रोगों से बचने के लिए औषधि युक्त काष्ट,तुलसी,रुद्राक्ष,आदि की माला गले में धारण करनी चाहिए !
विभिन्न विभिन्न प्रकार की माला फेरने के आध्यात्मिक लाभ -
१ कमल गट्टे की माला - शत्रु विनाश हेतु
२ सर्प की हड्डी की माला -मारण एवं तामसी कार्यों के लिए
३ तुलसी की माला - भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए
४ कुश ग्रंथि की माला -पाप नाश के लिए
५ जीव पुत्र की माला-संतान गोपाल का जप करने के लिए
६ हरिद्रा की माला - विघ्न हरण करने के लिए
७ विय्घ्र नख की माला - नजर एवं टोने टोटके से बचाव के लिए
८ रुद्राक्ष की माला- दीर्धायु होने के लिए जब महा म्र्त्युन्जय का जाप करना हो !
माला फेरने का वैज्ञानिक लाभ
माला फेरते समय अंगूठे और अंगुली के मध्य घर्षण से एक प्रकार की विद्युत उत्पन्न होती है जो धमनियो द्वारा होकर सीधी ह्रदय चक्र को प्रभावित करती है जिससे चंचल मन स्थिर हो जाता है
यह विधा एक्यूप्रेशर के इलाज की तरह ही है !