Re: आस्था पर आग
उपरोक्त अनुच्छेद के पढ़ने से स्पष्ट है कि अभी कलियुग के समाप्त होने में बहुत वर्ष बाकी हैं। ऐसी अवस्था में कल्कि अवतार के होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसके अतिरिक्त कल्कि अवतार को इस्लाम से सम्बद्ध करने की चेष्टा करना क्या हिन्दू धर्म की आस्था को आग लगाने के तुल्य नहीं है? अपने भाषण के अन्त में डॉ. ज़ाकिर नायक कहते है कि 'क़ुरान ईश्वर प्रदत्त नवीनतम ग्रन्थ है और सभी आस्तिकों को इसका ही अनुगमन करना चाहिए।' डॉ. ज़ाकिर नायक के इस कथन के सन्दर्भ में हमारा भी अपना स्वतन्त्र शोधकार्य रहा है और हमारा मत भी इनसे भिन्न नहीं हैं!
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