Re: आस्था पर आग
रजत जी याने की आप मानते हैं न की आप भगवन को मानते हो आप नास्तिक नहीं आस्तिक हो? फिर अब ये आरोप प्रत्यारोप क्यों? इस विषय पर जितनी बहस होगी उतना सबका सर दुखेगा और इससे सबके मन पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा . रजत जी मानती हूँ आप मजाक के मूड में लिख गए किन्तु कई बार संवेदन शील बातें किसी न किसी के मन को हर्ट कर जाती हैं तो आप प्लीज जब भी कुछ लिखें(भले ही वे बातें सारगर्भित हों )लेकिन थोडा सा उसका परिणाम सोच लिया कीजिये की कही आपके हास्य व्यंग से किसी की भावना को ठेस तो नहीं पहुँच रही .
आप भगवान् की पूजा करते ही होगे ?करते हो न ? फिर जिसे हम पूज रहे है उसका मजाक तो बना ही नहीं सकते न ?सारगर्भित होते हैं आपके लेख किन्तु व्यंग की अतिश्योक्ति की वजह से सारी समस्या खडी होती है तो क्यों एईसी बातें ही लिखना जिससे विवाद उत्पन्न हो ?
जब आप कुछ लिखते हो तब किसने किसका मजाक उड़ाया किसने भगवान , इंसान या फिल्म के बारे में क्या कहा ये बातें कोई महत्व की नहीं रहती. महत्व रह जाता है तो सिर्फ आपकी कहीऔर लिखी बातो का ...अंत में इतना कहना चाहूंगी की हास्य व्यंग कीजिये, लिखिए बस पहले थोडा सा उसका परिणाम सोच लीजिये की मानव मन पर क्या असर होगी इसकी(और आपने धर्म का भगवन का या अपनी संस्कृति का हमने उपहास तो नहीं उडा दिया न). क्यूंकि ईश्वर के स्वरुप को हम इंसानों ने बाँट दिया है किन्तु सारे विश्व की एक ही महा सत्ता है जो सा रे विश्व का संचालन करती है इसलिए उनका नमन ही करिए ...
मेरी कोई बात यदि ठीक न लगी हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ
|