भोजपुरी कहानी: सखी
भोजपुरी कहानी: सखी
आकाश महेशपुरी
खेदारू के बिआह फूला संघे बड़ी धूमधाम से भइल। बिदाई के बेरा फूला के माई-बाप, भाई - भउजाई, चाचा-चाची सभे उदास रहे। फूला के सखी चमेलियो कम उदास ना रहली, बाकिर केहू का करित, बेटी के त एक दिन बहुरिया बनहिं के परेला। फूला के अकवारी में भर के चमेली एतना लोर बहवली कि भादवो सरमा गइल। भदवारी में त बरखा के बाद आसमान साफ हो जाला, बाकिर चमेली के आँखियन से ना बरखा ओरात रहे ना बादर। बिदाई भइल, नवसे आ उनके घर के सभे बहुत निहाल रहे। येने कार में बहुरिया के साथे नवसे प्रेम रस में नहात रहलन, त ओने घर के मेहरारू समाज बहुरिया के इन्तजार में नाचत गावत रहे।
बाकिर भगवान जी के मरज़ी के का कहल जा! ऊहाँ के त कुछ अउरिए मंजूर रहे! बड़ी जोर आन्ही आइल, सड़क के दूनू बगल रहे बड़े बड़े पेड़, बीचे बीचे निकसत रहे बरातिन के काफिला। अचानक एगो पेड़ गिरल, टेक्सी में बइठल खेदारू के बाबूजी घाही हो गइलन। अब का होखो सभे उनके ले के अस्पताल पहुँचल।
डाक्टर कहलन कि "गहीर चोट लागल बा, आपरेशन करे के पड़ी कम से कम पचास हजार के
इन्तजाम करीं लोगिन।"
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edit note: बड़े आकार की कहानी को एक ही पोस्ट में दिया जाना उचित नहीं है. अतः पूरी कहानी को कई भागों में विभाजित कर के पोस्ट किया गया है.
Last edited by rajnish manga; 05-01-2015 at 08:38 PM.
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