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Old 19-02-2013, 10:19 PM   #275
jai_bhardwaj
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Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

एक समय की बात है कि एक हरे-भरे जंगल में चार मित्र रहते थे.. उनमें एक था चुहा, दूसरा हिरण, तीसरा कौवा और चौथा था कछुआ.. ये अलग-अलग प्राणी के जीव होने के बावजूद भी बड़े प्यार से रहते थे.. ये चारो एक दूसरे पर जान छिड़कते थे और आपस में खुब मेल-मिलाप से रहते थे... आपको बता दें कि उसी जंगल में एक तलाब था जिसके अंदर कछुआ रहता था.. और तलाब के किनारे एक जामुन का पेड़ था जिस पर घोंसला बनाकर एक कौवा रहता था.. उसी पेड़ के नीचे जमीन में बिल बनाकर चूहा रहता था और पास के ही घनी झाड़ियों में हिरण का बसेरा था.. दिन में कछुआ तलाब के किनारे रेत पर धूप सेंकता रहता था.. बाकी के तीनों मित्र सुबह होते ही भोजन की तलाश चले जाते और सूर्यास्त के समय तक वापस लौटते.. उसके बाद चारो मित्र इकट्ठे होकर एक साथ मिलकर खुब बोतें करते और खेलते थे..

एक दिन शाम को चूहा और कौवा तो आ गए लेकिन हिरण नहीं लौटा .. तब तीनों मित्र बैठकर उसकी राह देखने लगे... और काफी उदास हो गए.. तब मित्र कछुआ ने दुःख भरे स्वर में बोला कि भाई मित्र हिरण तो रोज तुम दोनों से भी पहले लौट आता था.. लेकिन आज क्या कारण है जो अब तक नहीं आया.. मेरा तो दिल डूबा जा रहा है.. फिर चूहे ने चिंतित स्वर में कहा हां बात तो अत्यंत गंभीर हैं.. लगता है जरुर वो किसी मुसीबत में पड़ गया है... अब हम करें क्या? तब कौवे ने ऊपर देखते हुए कहा मित्रों, वह जिधर चरने के लिए रोज जाता है उधर मैं उड़कर देखता लेकिन अब अंधेरा हो रहा है.. नीचे कुछ दिखेगा नहीं.. हमें सुबह तक इंतजार करनी होगी.. सुबह होते ही मैं उड़कर जाउंगा और उसकी कुछ खबर लाकर आप लोगों को दुंगा..

तब कछुए ने सिर हिलाते हुए कहा अपने मित्र की कुशलता जाने बिना हमें नींद कैसे आएगी.. दिल को चैन कैसे पड़ेगा.. मैं तो उस ओर अभी चल पड़ता हूं, ऐसे भी मेरी चाल बहुत धीमी है..तुम दोनों सुबह आ जाना.. चूहा बोला मुझसे भी हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठा जाएगा मैं भी कछुआ भाई के साथ चलुंगा.. कौवा भाई तुम सुबह आ जाना..

कछुआ और चूहा तो चल दिए.. कौवे ने किसी तरह से रात काटी और जैसे ही पौ फटी कौवा उड़ चला.. उड़ते-उड़ते चारों ओर नजर डालता जा रहा था.. आगे एक स्थान पर कछुआ और चूहा को जाते हुए देखकर उसे सूचना दी कि मैने उन्हें देख लिया है और मित्र हिरण की खोज में वो आगे जा रहा है.. अब कौवे ने हिरण को पुकारना भी शुरु कर दिया -- मित्र तुम कहां हो.. आवाज दो मित्र..

तभी उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी.. जो कि उसके मित्र हिरण के जैसा था.. उस आवाज की दिशा में उड़कर वह उसी जगह पहुंचा जहां हिरण एक शिकारी के जाल में फंसा हुआ था.. हिरण ने कौवे को देखते ही रोने लगा और सारी घटना को बताते हुए कहा मित्र अब शिकारी आता ही होगा... वह मुझे पकड़कर ले जाएगा और समझों कि मेरी कहानी खत्म है... तुम मित्र चूहे और कछुए को मेरा अंतिम नमस्कार कहना...

तब कौवा बोला मित्र हम जान की बाजी लगाकर भी तुम्हें छुड़ा लेंगें... हिरण ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा लेकिन मित्र तुम ऐसा कैसे कर पाओगे? तब कौवे ने पंख फड़फड़ाते हुए कहा सुनो मित्र मैं अपने मित्र चूहा को अपने पीठ पर बैठा कर लाता हूं, वह अपने पैने दांतों से जाल को तुरंत काट देगा.. तब हिरण को आशा की किरण दिखाई दी और कहा कि मित्र जल्दी करो... चूहे भाई को शीघ्र ले आओं.. नहीं तो शिकारी आ जाएगा..

कौवा तेजी से उड़ा और समय नष्ट किए बिना वहां पहुंचा जहां उसके मित्र चूहा और कछुआ थे.. उन्हें सारी विपदा बताते हुए कहा कि अगर शिकारी के आने से पहले हमने उसे नहीं छुड़ाया तो वह मारा जाएगा... तब चूहा ने कहा कौवे भाई हमें अपनी पीठ पर बैठाकर हिरण के पास ले चलो, मैं तुरंत ही जाल काट दुंगा.. चूहे ने वहां पहुंचकर तुरंत जाल काट कर हिरण को मुक्त कर दिया.. मुक्त होते ही हिरण ने अपने मित्रों को गले लगा लिया और रुंधे गले से उन्हें धन्यवाद दिया.. तब तक कछुआ भी वहां आ पहुंचा और खुशी के आलम में शामिल हो गया... हिरण बोला मित्र आप भी आ गए.. मैं भाग्यशाली हूं.. जिसे ऐसे सच्चे मित्र मिले..

चारो मित्र भाव-विभोर होकर खुशी में नाचने लगे... अचानक, हिरण चौका और उसने मित्रों को चेतावनी देते हुए कहा भाइयों देखो वह जालिम शिकारी आ रहा है.. तुरंत छिप जाओ.. उसके बाद चूहा फौरन पास के बिल में घुस गया.. कौवा उड़कर पेड़ पर जा बैठा.. हिरण एक ही छलांग में पास के झाड़ी में जाकर छिप गया... परंतु मंद गति का कछुआ दो कदम भी नहीं गया था कि शिकारी आ गया.. उसने जाल को काटा हुआ देखकर माथा पीटा और बोला क्या फंसा था.. किसने काटा... यह जानने के लिए वह पैरों के निशानों के सुराग ढूंढने के लिए इधर-उधर देख ही रहा था कि उसकी नजर रेंगते हुए कछुए पर पड़ी.. और वो खुश हो गया.. कहा भागते चोर की लंगोटी ही भली... अब यहीं कछुआ आज हमारे परिवार के भोजन के काम आएगा...बस उसने कछुए को उठाकर अपने थैले में डाला और जाल समेट कर चलने लगा... कौवे ने तुरंत हिरण और चूहे को बुलाकर कहा मित्रों हमारे मित्र कछुए को तो शिकारी थैले में डालकर ले जा रहा है.. चूहा बोला हमें अपने मित्र को छुड़ाना चाहिए.. लेकिन कैसे?

इस बार हिरण ने समस्या का हल सुझाया.. कहा मित्रों हमें चाल चलनी होगी.. मैं लंगड़ाता हुआ शिकारी के आगे से निकलूंगा मुझे लंगड़ा जान वह मुझे पकड़ने के लिए कछुए वाला थैला छोड़ मेरे पीछे दोड़ेगा.. मैं उसे दूर ले जाकर चकमा दूंगा.. इसी बीच चूहा भाई थैले को कुतरकर कछुए को आजाद कर देंगे..
योजना अच्छी थी लंगड़ाकर चलते हिरण को देख शिकारी खुश हो गया.. वह थैला फेंककर हिरण के पीछे भागा.. हिरण उसे लंगड़ाने का नाटक कर घने जंगल की ओर ले गया और फिर चौकड़ी मारते हुए ओझल हो गया.. शिकारी दांत पीसता रह गया.. अब कछुए से ही काम चलाने का इरादा बनाकर लौटा तो उसे थैला खाली मिला.. उसमें छेद बना हुआ था.. शिकारी मुंह लटाकाकर खाली हाथ घर लौट गया...

इसीलिए कहा जाता है कि यदि सच्चे मित्र हो तो जीवन में मुसीबतों का आसानी से सामना किया जा सकता है.
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

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