उमर ख़य्याम की रुबाइयाँ
उमर ख़य्याम की रुबाइयाँ
एक रुबाई का अनुवाद
हाथों की लकीरों में किस्मत, जब आ कर सब लिख जायेगी
फिर उसके बाद न दया याचना, न हुशियारी ही काम आयेगी
तहरीर जो किस्मत ने लिख दी, उसमें बदलाव असंभव है
फिर बाढ़ आँसुओं की आ कर, लफ्ज़ एक नहीं धो न पायेगी
(रजनीश मंगा)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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