17-04-2013, 09:53 PM
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#54
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Re: इधर-उधर से
महावीर का पत्र
नकोट
24.5.1977
परम स्नेही,
पत्र तुम्हारा 17.5.77 को ही प्राप्त हो गया था किन्तु .... उत्तर न दे पाया. तुम्हारे पत्र द्वारा तुम्हारे विवाह की सूचना मिली, प्रसन्नता के कारण उस दिन क्रिकेट भी ठीक से न खेल पाया, फलस्वरूप, दाहिनी आँख पर मामूली चोट मिली. खैर, अब में बिलकुल स्वस्थ हूँ और पुनः क्रिकेट खेल रहा हूँ. सैशन तो 20 मई को ही समाप्त हो गया था, परन्तु चुनाव के कारण स्टेशन लीव नहीं मिली. इसलिए घर चुनावों के बाद जाना होगा.
एक कविता
बाग़ था या कि किसी झील में धीरे धीरे
स्वर्ण हंसों का कोई तैर रहा जोड़ा हो,
या किसी शोख़ नवोढ़ा ने कुसुरभी आँचल
पहले केसर में भिगोया हो फिर निचोड़ा हो.
वो रूप वो छवि, और वह मुस्कान अनाम,
देखें तो करे झुक के हर इक फूल सलाम.
बिखरे हुए कांधों पे वो श्यामल कुंतल,
उतारी हो कहीं जैसे हिमालय पे शाम.
(नीरज)
चिरंतन मित्र,
महावीर
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