Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन
किस्मत और संयोग
इंसान क्या बनता है, यह एक के बाद एक हुए संयोगों को ऊपर निर्भर है। अब आप इसे किस्मत कह लें या गणित, आपके ऊपर है। अब हर बार तो आप किस्मत को दोष नहीं दे सकते और न ही अपनी गणित की शान बघार सकते हैं।
बसये नहीं समझ आता कि लोग ज्योतिषियों के चक्कर में पड़ते क्यों हैं।अगर आप मानते हैं किभविष्य में क्या होना है वह पहले से ही तय है तो उसके बारे में जान के क्या हासिल होने वाला है, अगर आप सचमुच में मानते हैं कि जो होना है वह हो के ही रहेगा तो नपुंसकों की तरह बैठे रहें, भविष्य जानने का भी जहमत क्यों उठा रहे हैं।
बिल्कुल भी पल्ले नहीं पड़ी ये बात अपने मोटे दिमाग में। ज्योतिष को विज्ञान ठहराने की कोशिशें करते रहते हैं, आखिर रोजी रोटी का सवाल है और विज्ञान की धाक है। दूसरी ओर कहते हैं कि वैज्ञानिकों को कुछ अता पता थोड़ी है, कभी कहते हैं प्लूटो ग्रह है, फिर कहते हैं नहीं है। हमारी ज्योतिष तो हमेशा पक्की रहती है। इतनी पक्की रहती है तो विज्ञान साबित करने के पीछे क्यों पड़े हो।
हिंदुस्तान में दफ्तर में देर तक काम न करो तो साहब को संतुष्टि नहीं मिलती है, इतना ही नहीं, खुद को भी नहीं मिलती है। पता नहीं चक्कर क्या है। पता नहीं दिन के आखिरी दो घंटों में ऐसा क्या तीर मार लिया जाता है। दिन में तीन बार चाय पीने जाएँगे और डेढ़ घंटे खाना खाने में लगाएँगे, और उसके बाद शाम को दफ्तर से देर से निकलेंगे। अब इसमें दो चीजों का विरोधाभास है, एक यह कि काम समय से खत्म करो, दूसरा यह कि मेहनत करों, ज्यादा काम करो।
अगर मैं लड़की होता तो शायद सफेद रंग के और लाल रंग के कपड़े पहनना खूब पसंद करता। पता नहीं क्यों। और सजना धजना भी काफी पसंद करता।
(अमित जी का ब्लॉग)
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