22-12-2013, 10:19 PM
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Re: लेखकों व कलाकारों की अजीबो-गरीब आदतें
ओरहन पामुक (Orhan Pamuk) ओरहन पमुक ने 'अदर कलर्स' में बहुत दिलचस्प किस्से लिखे हैं- अपनी ऐसी आदतों के बारे में. एक निबंध में वह कहते हैं- उन्हें घर में लेखन करना अजीब लगता था. उन्हें हमेशा एक दफ़्तर चाहिए होता, जो घर से अलग हो, जहां वह सिर्फ़ लिख सकें (यह आदत कई लेखकों की रही है. इसके लिए उन्होंने घर के पास या तो कोई फ़्लैट ख़रीद लिया या किराये पर ले लिया और वहां काम किया). ख़ैर, पमुक घर में लिखने की मजबूरी से अलग ही ढंग से निपटे. वह सुबह उठते, नहाते-धोते, नाश्ता करते, बाक़ायदा फॉर्मल सूट पहनते और पत्नि से यह कहकर कि अब मैं ऑफिस जा रहा हूं निकल पड़ते, पंद्रह-बीस मिनट सड़क पर टहलने के बाद वह वापस घर लौटते, अपने कमरे में घुसते, और उसे अपना ऑफिस मान लिखने लग जाते.
यहां मुझे हिंदी के महान साहित्यकार अमृतलाल नागर का ध्यान आता है, जो घर के अन्दर तख़्त पर बैठ कर लेखन कार्य करते थे. उन्होंने पत्नि को कह रखा था कि यदि कोई मिलने आये तो कह देना कि नागर जी कानपुर गये हैं. पत्नि को समझाते कि यह तख़्त ही मेरा कानपुर है. जब आज का काम हो जाएगा तो हम कानपुर से लखनऊ अपने घर आ जायेंगे.
Last edited by rajnish manga; 22-12-2013 at 10:36 PM.
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