Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘कहां ट्युशन पढ़ते हो’’
‘‘कहीं नहीं सर’’
‘‘तब इतना अच्छा कैसे जानते हो’’
‘‘ जी आपने ही पढ़ाया है सर, आपके पहले क्लास का मंत्र को अपना कर घर में ही पढ़ता हूं’’
‘‘कहां घर है, किसका बेटा हो’’
बताया तो लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली। बाजार से वास्ता रखने वाले लगभग सभी लोग मेरे पिताजी को जानते थे, एक शराबी के रूप में।
खैर कॉलेज की बातें फिर कभी। अभी तो एक लड़की थी दीवानी सी और वह मुझ पर मरती थी। ऐसी ही एक लड़की का प्रवेश मेरे जीवन मंे हुआ। उसका नाम था उषा जो वहीं अपनी बड़ी बहन के यहां पढ़ने आई और पता नहीं क्यों मुझ पर फिदा हो गई
‘‘बबलु बौउआ, हमर बहिन आइलै हैं पढ़े खातिर जरि मिल के कुछ सलाह नै दे देबहो।’’
‘‘काहे नै देबई, भईया के साली आधी घरवाली’’ कखने मिलाइभो’’
‘‘आहो ने अभिये, देखो ने की पढ़तै से ओकरा पते नै है, जरी समझा दहो बउआ।’’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 27-08-2014 at 10:15 PM.
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