View Single Post
Old 10-11-2012, 02:38 PM   #35
teji
Diligent Member
 
teji's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: जालंधर
Posts: 1,239
Rep Power: 22
teji is a splendid one to beholdteji is a splendid one to beholdteji is a splendid one to beholdteji is a splendid one to beholdteji is a splendid one to beholdteji is a splendid one to beholdteji is a splendid one to behold
Default Re: आधे-अधूरे - मोहन राकेश

हाँफती हुई चुप कर जाती है। बड़ी लड़की कुहनियाँ मेज पर रखे और मुट्ठियों पर चहेरा टिकाए पथराई आँखों से चुपचाप दोनों को देखती है।
पुरुष चार : (उठता हुआ) बिना हड़-मांस का पुतला, या जो भी कह लो तुम उसे - पर मेरी नजर में वह हर आदमी जैसे एक आदमी है-सिर्फ इतनी ही कमी है उसमें।
स्त्री : यह आप मुझे बता रहे हैं ? जिसने बाईस साल साथ जी कर जाना है उस आदमी को ?
पुरुष चार : जिया जरूर है तुमने उसके साथ...जाना भी है उसे कुछ हद तक...लेकिन...
स्त्री : (हताशा से सिर हिलती है) ओफ्फ़ोह! ओफ्फ़ोह! ओफ्फ़ोह !
पुरुष चार : जो-जो बातें तुमने कही हैं अभी, वे गलत नहीं हैं अपने में। लेकिन बाईस साल जी कर जानी हुई बातें वे नहीं हैं। आज से बाईस साल पहले भी एक बार लगभग ऐसी ही बातें मैं तम्हारे मुँह से सुन चुका हूँ - तुम्हें याद हैं ?
स्त्री : आप आज ही की बात नहीं कर सकते ? बाईस साल पहले पता नहीं किस जिंदगी की बात हैं वह ?
पुरुष चार : मेरे घर हुई थी वह बात। तुम बात करने के लिए खास आई थीं वहाँ, और मेरे कंधे पर सिर रखे देर तक रोती रही थीं। तब तुमने कहा था कि...
स्त्री : देखिए, उन दिनों की बात अगर छेड़ना ही चाहते हैं आप, तो मैं चाहूँगी कि यह लड़की...
पुरुष चार : क्या हर्ज है अगर यह यहीं रहे तो ? जब आधी बात उसके सामने हुई है, तो बाक़ी आधी भी इसके सामने ही हो जानी चाहिए।
बड़ी लड़की : (उठने को हो कर) लेकिन अंकल... !
पुरुष चार : (स्त्री से) तुम समझती हो कि इसके सामने मुझे नहीं करनी चाहिए यह बात ?
स्त्री : मैं अपनी खयाल से नहीं कह रही थी।...ठीक है। आप कीजिए बात।
कहती हुई एक कुरसी पर बैठ जाती है।
: (स्त्री से) उस दिन पहली बार मैंने तुम्हें उस तरह ढुलते देखा था। तब तुमने कहा था कि...।
स्त्री : मैं बिलकुल बच्ची थी तब तक, अभी और...।
पुरुष चार : बच्ची थीं या जो भी थीं, पर बात बिलकुल इसी तरह करती थीं जैसे आज करती हो। उस दिन भी बिलकुल इसी तरह तुमने महेन्द्र को मेरे सामने उधेड़ा था। कहा था कि वह बहुत लिजलिजा और चिपचिपा-सा आदमी है। पर उसे वैसा बनानेवालों में नाम तब दूसरों के थे। एक नाम था उसकी माँ का और दूसरा उसके पिता का...।
स्त्री : ठीक है। उन लोगों की भी कुछ कम देन नहीं रही उसे ऐसा बनाने में।
पुरुष चार : पर जुनेजा का नाम तब नहीं था ऐसा लोगों में। क्यों नहीं था, कह दूँ न यह भी ?
स्त्री : देखिए...।
पुरुष चार : बहुत पुरानी बात है। कह देने में कोई हर्ज नहीं है। मेरा नाम इसलिए नहीं था कि...
स्त्री : मैं इज्जत करती थी आपकी...बस, इतनी-सी बात थी।
पुरुष चार : तुम इज्जत कह सकती हो उसे...पर वह इज्जत किसलिए करती थीं ? इसलिए नहीं कि एक आदमी के तौर पर मैं महेन्द्र से कुछ बेहतर था तुम्हारी नजर में; बल्कि सिर्फ इसलिए कि...
स्त्री : कि आपके पास बहुत पैसा था? और आपका दबदबा था इन लोगों के बीच?
पुरुष चार : नहीं। सिर्फ इसलिए कि मैं जैसा भी था जो भी था-महेन्द्र नहीं था।
स्त्री : (एकाएक उठती है) तो आप कहना चाहते हैं कि...?
पुरुष चार : उतावली क्यों होती हो ? मुझे बात कह लेने दो। मुझसे उस वक्त तुम क्या चाहती थीं, मैं ठीक-ठीक नहीं जानता। लेकिन तुम्हारी बात से इतना जरूर जाहिर था कि महेन्द्र को तुम तब भी वह आदमी नहीं समझती थीं जिसके साथ तुम जिंदगी काट सकतीं...।
स्त्री : हालाँकि उसके बाद भी आज तक उसके साथ जिंदगी काटती आ रही हूँ...
पुरुष चार : पर हर दूसरे-चौथे साल अपने को उससे झटक लेने की कोशिश करती हुई। इधर-उधर नजर दौड़ाती हुई कब कोई जरिया मिल जाए जिससे तुम अपने को उससे अलग कर सको। पहले कुछ दिन जुनेजा एक आदमी था तुम्हारे सामने। तुमने कहा है तब तुम उसकी इज्जत करती थीं। पर आज उसके बारे में जो सोचती हो, वह भी अभी बता चुकी हो। जुनेजा के बाद जिससे कुछ दिन चकाचौंध रहीं तुम, वह था शिवजीत। एक बड़ी डिग्री, बड़े-बड़े शब्द और पूरी दुनिया घूमने का अनुभव। पर असल चीज वही कि वह जो भी था और ही कुछ था-महेंद्र नहीं था। पर जल्द ही तुमने पहचानना शुरू किया कि वह निहायत दोगला किस्म का आदमी है। हमेशा दो तरह की बात करता है। उसके बाद सामने आया जगमोहन। ऊँचे संबंध, जबान की मिठास, टिपटॉप रहने की आदत और खर्च की दरिया-दिली। पर तीर की असली नोक फिर भी उसी जगह पर-कि उसमें जो कुछ भी था, जगमोहन का-सा नहीं था। पर शिकायत तुम्हें उससे भी होने लगी थी कि वह सब लोगों पर एक सा पैसा क्यों उड़ता है ? दूसरे की सख्त-से-सख्त बात को एक खामोश मुस्कराहट के साथ क्यों पी जाता है ? अच्छा हुआ, वह ट्रांसफर हो कर चला गया यहाँ से, वरना.... ।
teji is offline   Reply With Quote