Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
उधर मैट्रीक के बाद रीना की पढ़ाई परिवार बालों ने बंद करा दी थी। गांव में उस समय चलन ही था की लड़की कॉलेज जाकर बिगड़ जाती है और फिर दशवां पास हो जाने के बाद बरतुहारी में कोई दिक्कत नहीं होती। खैर यह सिलसिला चल ही रहा था कि राधा से मांगी एक पुस्तक में से मेरे नाम लिखा एक प्रेम पत्र मिला जिसमें राधा ने मुझसे अपने प्रेम की बात बेबाकी से लिख दी। पत्र क्या था जैसे किसी चित्रकार ने उसे सजाया हो, दिल की तस्वीर से लेकर गुलाब और कमल के फुलों के बीच बबलू और राधा लिया था साथ ही साथ कई तरह के शेर।
मैं पत्र को लेकर उहापेह में रहा, जबाब दें या नहीं, किसी कोने मे सकारात्कमक जबाब देकर लाभ उठाने की बात भी आती पर रीना का प्यार, यह तो धोखा हो जाएगा और प्यार में धोखा हो तो प्यार नहीं मिलता ऐसी समझ बना ली थी सो इस पत्र का जबाब मैंने नहीं दिया और उससे मिलना जुलना बंद कर दिया। एक दिन पत्र को रीना को पढ़ा दिया और वह आग बबुला हो गई। उसी समय उससे लड़ने जाने लगी पर मैंने यह कह कर रोक लिया कि यह मेरे तरफ से यह नहीं है और इससे हंगामा हो जाएगा। गांव में अभी अपने संबंधों को कोई नहीं जानता सो चुप रहो।
एक दिन गर्मी की दोपहर मैं अपने घर चौंकी पर सोया था। दोपहर की उस गहरी नींद से मैं अकबका कर उठ गया। लगा जैसे मेरा दम घुंट जाएगा। मेरी नींद खुली तो देखा कि सोने से पुर्व खिड़की पर रखी किताब को राधा लेने का प्रयास कर रही थी और इस प्रयास में उसके छाती मेरे चेहरे को अपने आगोश में ले रखा था और यह कुछ अधिक समय तक चलता रहा था जिससे मेरी नींद टूट गई पर उसने हटने का प्रयास नहीं किया। अजीब सा लगा। मैं लगभग उसे ढकेलता हुआ हटाया पर वह मुस्कुरा रही थी। अब समझा, उसके प्रेम पत्र का जबाब नहीं देना खतरनाक हुआ और उसने इसे मेरी हामी समझ ली। मेरे घर में आज कोई नहीं था और वह कमरे में आ गई थी
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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