Re: कुतुबनुमा
दाऊद के साथियों पर प्रतिबंध : अच्छा कदम
दक्षिण एशिया में अपराध और आतंकवाद के गठजोड़ को निशाना बनाते हुए अमेरिका ने कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के दो आला गुर्गों छोटा शकील और टाइगर मेमन को मादक पदार्थों का प्रमुख तस्कर घोषित कर इन पर ‘किंगपिन अधिनियम’ के तहत प्रतिबंध लगाने की जो घोषणा की है, वह वास्तव में स्वागतयोग्य कदम है। अमेरिका का यह कदम भारत द्वारा इस विषय पर अब तक उठाए जा रहे कदमों की ही एक तरह से पुष्टि भी है, क्योंकि भारत पिछले कई बरसों से यह कहता आ रहा है कि नारकोटिक आतंकवाद केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि दुनियाभर के लिए खतरा है। भारत तो अब तक यह भी कहता रहा है कि छोटा शकील, टाइगर मेमन के अलावा उनका आका दाऊद पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान में हैं और उसे वहां पूरा संरक्षण भी मिला हुआ है। भारत द्वारा पाकिस्तान को दी गई ‘सर्वाधिक वांछित’ लोगों की सूची में इन तीनों के नाम भी हैं। अमेरिकी वित्त विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय ने छोटा शकील और टाइगर मेमन को मादक पदार्थों का विशेष रूप से नामित तस्कर तो करार दिया ही है, साथ ही यह भी घोषणा की है कि भविष्य में कोई अमेरिकी नागरिक उनके साथ वित्तीय या वाणिज्यिक लेन-देन नहीं कर सकेगा। यदि शकील और मेमन की कोई संपत्ति अमेरिका के अधिकार-क्षेत्र में होगी, तो उसे भी जब्त कर लिया जाएगा। छोटा शकील दाऊद का दायां हाथ माना जाता है, जो दाऊद की ‘डी कंपनी’ और दूसरे संगठित आपराधिक एवं आतंकवादी संगठनों के बीच समन्वय कायम करने का काम करता है। टाइगर मेमन भी दाऊद का दूसरा भरोसेमंद साथी है, जो समूचे दक्षिण एशिया में संगठन के कारोबार पर नियंत्रण रखता है। वर्ष 1993 के मुंबई धमाकों में दाऊद, शकील और मेमन की संलिप्तता के लिए भारतीय अधिकारी तो उनकी तलाश कर ही रहे हैं, इंटरपोल ने भी शकील और मेमन के लिए औपबंधिक गिरफ्तारी वारंट या रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर रखा है। खुद दाऊद को अमेरिका ने 2003 में विशेष तौर पर नामित वैश्विक आतंकवादी और वर्ष 2006 में मादक पदार्थों का प्रमुख विदेशी तस्कर घोषित किया था। ऐसे में इन्हें संरक्षण देने वालों को चाहिए कि वह इन्हें सहारा देने की बजाय न्याय के दायरे में लाएं।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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