Re: कुतुबनुमा
स्वतंत्र न्यायपालिका पर विश्वसनीयता की मुहर
भारत की न्यायपालिका कितनी विश्वसनीय है उस पर अंतर्राष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) ने हाल ही में उस वक्त मुहर लगा दी, जब उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश दलबीर भंडारी का चयन आईसीजे में किया गया। यह भारत के लिए तो गर्व की बात है ही, साथ ही इससे यह भी साबित होता है कि दुनिया की नजरों में भारतीय न्यायपालिका की शीर्षस्थ अदालत की छवि कितनी साफ-सुथरी है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को पूरी दुनिया की अदालतों में उदाहरण के रूप में पेश भी किया जाता है। खुद न्यायाधीश भंडारी ने अपने चयन के बाद कहा कि अपनी स्वतंत्रता, साख एवं लोकतंत्र को मजबूती देने के लिए भारतीय उच्चतम न्यायालय की अलग पहचान और इज्जत है और इसी का नतीजा है कि एक भारतीय को 15 सदस्यीय आईसीजे में स्थान मिला है। 64 वर्षीय भंडारी का चुनाव आईसीजे के सदस्य जार्डन के न्यायाधीश शौकत अल खास्वानेह के इस्तीफे के कारण खाली हुई सीट पर हुआ है और इस चुनाव में उन्होंने फिलीपींस के न्यायाधीश फ्लोरेण्टिनो फेलिसियानो को हराया। न्यायाधीश भंडारी को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 180 में से 122 वोट मिले। जबकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 में से 13 वोट भंडारी के पक्ष में पड़े। प्राप्त मतों के आधार पर ही यह कहा जा सकता है कि 95 प्रतिशत मत भारत के पक्ष में पड़े जो यह साबित भी करता है कि भारत को लेकर दुनिया के अन्य देशों में कितना विश्वास है। न्यायाधीश भंडारी का कहना है कि हाल के वर्षों में आईसीजे का महत्व काफी बढ़ गया है। पहले केवल समुद्री क्षेत्रों से जुडे मामले आते थे लेकिन अब पर्यावरण और पारिस्थितिकी संरक्षण से जुडे मामलों का बोझ भी काफी बढ़ता जा रहा है। भंडारी संयुक्त राष्ट्र के प्रधान न्यायिक संस्थान आईसीजे में छह साल सेवाएं देंगे। वह दोबारा नौ साल के लिए फिर चुने जा सकते हैं। एक भारतीय का इस संस्थान में पहुंचना सचमुच गौरव की बात है और इस पद के चुनाव में भंडारी की जीत भारत, भारतवासियों और जीवंत एवं स्वतंत्र न्यायपालिका की भी बड़ी जीत है। हर देशवासी की अब यही इच्छा होगी कि जो गरिमा भारतीय न्यायपालिका ने अब तक हासिल की है, वह गरिमा न्यायाधीश भंडारी की आईसीजे में मौजूदगी से और बढ़े और खुद भंडारी आईसीजे की उम्मीदों पर खरे उतरें।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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