Re: ज़रा इधर भी...
सूर्योदय से पहले सहरी करना मित्रा शायद ही कभी भूलते हों लेकिन दिन के समय वो अपने मुसलमान साथियों के साथ इफ़्तार नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें डायबिटीज़ है।मित्रा कहते हैं, “मैं वैसे धार्मिक व्यक्ति नहीं हूं।
इसलिए मैं पांच वक़्त की नमाज़ नहीं पढ़ता और न ही मैं पूजा करता हूं।” लेकिन उनके घर में पिछले 125 साल से दुर्गा पूजा का आयोजन होता है। मैं जब उनसे मिलने गया तो मुझे घर के बाहर इफ़्तार के लिए ले गए।
ठीक उस जगह पर जहां हिन्दुओं का इलाका ख़त्म होता है और मुसलमानों का इलाक़ा शुरू होता है, वहीं एक छोटा सा भोजनालय है जो पिछले 55 वर्षों से मित्रा का प्रिय स्थान है।
मित्रा बताते हैं, “मुझे याद है जब यहां मैंने पहली बार गोमांस खाया था। करीब पचास साल पहले की बात है। ये भोजनालय पहले बिल्कुल अलग था, अब तो इसमें काफी बदलाव आ गया है।
अब आपको यहां गोमांस नहीं मिलेगा क्योंकि ये लोग अब हिन्दू ग्राहकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।”
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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