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Old 10-03-2012, 06:07 PM   #18
anoop
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Default Re: मोटापा पर विशेष

कैलोरी गिनना अंभव काम है
"लोक स्वास्थ्य से जुड़े लोग हमें "उर्जा संतुलन" बनाने की सलाह देते हैं - यह सिर्फ़ एक नया शब्द है यह बताने का कि आप जितनी उर्जा खर्च करते हैं उसी हिसाब से खाएँ। अब सवाल है कि यह संतुलन होगा कैसे?

"अगर आप २७०० कैलोरी एक दिन में खाते हैं, जो कि आम है अगर आप एक स्वस्थ व्यक्ति हैं तो इसका मतलब हुआ करीब दस लाख कैलोरी प्रति वर्ष या करीब १ करोड़ कैलोरी प्रति दशक। यानि एक दशक में आपने करीब १० टन भोजन खाया है। अब आप बताईए कि आप कैसे हिसाब लगाएँगे कि आप क्या कितना खाएँ कि एक दशक में आपका वजन १० किलों भी न बढ़े। अब मान लीजिए कि आप बहुत माथापच्ची करके अपने वजन के बढ़ने की दर को १० किलों प्रति दशक से आस-पास रखने में कामयाब भी हो गए तब भी २० के दशक में आप फ़िट थे तो ३० के दशक में आप मोटे हो जाएँगे, या फ़िर ४० के दशक में पक्का (अगर आप बीच-बीच में बीमार न होते रहे तो)। और अंत में आपको पता चलेगा कि ऐसा तब हो गया जब आपने औसतन करीब २० कैलोरी हीं प्रति दिन ज्यादा खाया था। इसका मतलब हुआ कि अगर आप २० कैलोरी प्रतिदिन ज्यादा खाते हैं तब भी आप १० साल में १० किलो जरूर बढ़ जाएँगे। २० कैलोरी का मतलब हुआ, बर्गर का एक कौर, या कोला ड्रिन्क का एक घुँट, या मध्यम आकार के सेव का एक चौथाई टुकड़ा....। अब आप सोचिए, चाहे आप जितना भी कैलोरी गिने, क्या आप अपने को मोटा होने से बचा पाएँगे उस पुराने "calorie in calorie out" वाले सिद्धान्त पर चल कर? पक्का जवाब है - नहीं। तो उर्जा संतुलन के बारे में सोचते हुए हमें यह भी सोचना होगा कि आखिर-कार दुनिया में सब मोटे क्यों नहीं हैं?
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