Re: पारख साहब के दिलचस्प किस्से
उदासी का कारण
उन दिनों पारख साहब मुनि नथमल रचित एक पुस्तक पढ़ रहे थे. इसी पुस्तक से एक प्रसंग उन्होंने हमें सुनाया जो इस प्रकार है –
कोई व्यक्ति तो दुःख में से सुख ढूँढता है, और कोई सुख में से दुःख ढूंढ लेता है. एक व्यक्ति की लाटरी निकली. बहुत से लोग बधाई देने पहुंचे. लेकिन इतनी मुबारकबाद मिलने के बाद भी वो भाई ग़मगीन बैठा था. ‘ऐसा क्यों?’ लोगों ने उससे पूछा, “ क्या बात है, इतनी अच्छी खबर सुन कर भी तुम्हें कोई ख़ुशी नहीं हुयी, तुम उदास और गुमसुम बैठे हो.”
उसने जवाब दिया, “मैंने दो रुपये खर्च कर के लाटरी के दो टिकट लिए थे. सिर्फ एक टिकट पर ईनाम निकला है, दूसरा तो बेकार चला गया.
(30/11/1976)
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