'श्री गणेशाय नम:
श्री गणेशाय नम:
किसी भी कार्य को आरम्भ करने से पूर्व ''श्री गणेशाय नम: '' मन्त्र का उच्चारण समस्त विघ्नों को हरकर कार्य की सफलता को सुनिश्चित करता है .पौराणिक आख्यान के अनुसार -एक बार देवताओं की सभा बुलाई गयी और यह घोषणा की गयी कि-''जो सर्वप्रथम तीनों लोकों का चक्कर लगाकर लौट आएगा वही देवताओं का अधिपति कहलायेगा .समस्त देव तुरंत अपने वाहनों पर निकल पड़े किन्तु गणेश जी का वाहन तो मूषक है जिस पर सवार होकर वे अन्य देवों की तुलना में शीघ्र लौट कर नहीं आ सकते थे .तब तीक्ष्ण मेधा सम्पन्न श्री गणेश ने माता-पिता [शिव जी व् माता पार्वती ] की परिक्रमा की क्योंकि तीनों लोक माता-पिता के चरणों में बताएं गएँ हैं .श्री गणेश की मेधा शक्ति का लोहा मानकर उन्हें 'प्रथम पूज्य -पद ' से पुरुस्कृत किया गया .
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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