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Old 21-09-2013, 05:53 PM   #29
jai_bhardwaj
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Default Re: गीली यादों के कुछ पल .....

घुंघराले बाल थे उसके गुड़िया जैसे. एकदम काले. वो हमेशा बालों में बहुत सारे क्लिप लगा के रखती थी कि संवारे से दिखें. हलकी भूरी आँखें थी उसकी. बिल्ली जैसी. बहुत प्यारी दिखती थी. दूध सा गोरा रंग. दुबली पतली. बहुत नजाकत थी उसमें. बोलती भी एकदम मद्धम थी. पढ़ने में थोड़ी कमजोर थी बस. क्लास की एक आम सी लड़की थी. मेरी उससे कोई ख़ास दोस्ती न दुश्मनी. बस ये सब उस दिन बदल गया जिस दिन मालूम चला तुम्हें वो पसंद है.

अब मुझे उसकी कोई बात भली न लगती. दिल ही दिल में उसे चुड़ैल जैसे विशेषणों से भी नवाज़ा होगा मैंने इस बात पर भी मुझे यकीन है. उसे कभी किसी हेल्प की जरूरत होती तो मेरा हरगिज़ उसकी मदद करने का मन नहीं करता. कभी गेम्स में उसके शूलेसेस खुले रहते तो मैं कभी उसे बताती नहीं. मुझे हरगिज़ समझ नहीं आता कि तुम्हें वो क्यूँ पसंद आई, मैं क्यूँ नहीं. बस उस दिन के बाद से आईने ने मुझसे कोई भी बात करनी बंद कर दी. वो कितना भी कहे कि मैं खूबसूरत हूँ, मेरी खूबसूरती का पैमाना एक भूरी आँखों और घुंघराले बालों वाली लड़की ने तय कर रखा था. मेरे छोटे छोटे बॉबकट बाल और गहरी काली आँखें एकदम साधारण थीं. इनसे किसी को क्यूँ प्यार हो भला.

वो प्यार जताने के दिन नहीं थे. न उलाहना देने के. न पूछने के कि तुम्हें वो क्यूँ अच्छी लगती है, मैं क्यूँ नहीं. तुम्हें इतना भर भी कहाँ बताया था कि तुम मुझे अच्छे लगते हो. तुम उन दिनों मुझे बिलकुल पसंद नहीं करते थे. जाने अनजाने तुमने मेरा बहुत दिल दुखाया. उस वक़्त कोई था भी नहीं बताने वाला कि दर्द ताउम्र नहीं रहता है, न पहला प्यार. तुमसे प्यार करना कितना जरूरी था आज दो दशक बाद समझती हूँ.

मुझे कभी यकीन नहीं होता कि किसी को मुझसे भी प्यार हो सकता है. मगर था वो एक लड़का. लम्बा, गोरा, हलकी भूरी आँखों वाला...उसने कहा कि वो मुझसे प्यार करता है. उस दिन आइना देखा तो आइना एकदम बड़बोला हो गया था. बार बार बताता कि मैं बेहद खूबसूरत हूँ. कोई मुझसे प्यार करता है. टेंथ के एक्जाम ख़त्म हो चुके थे. उस लड़की से फिर कभी मिलना नहीं हुआ. आज भी मगर इन्टरनेट पे हज़ार दोस्त हैं. मैं उसे कभी एक्सेप्ट नहीं कर पायी.
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

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