Re: क्या अल्पसंख्यक लॉलीपॉप हैं, नीतीशजी?
पिछले वर्ष नितीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू ने जो कुछ भी किया वह आत्मघाती नहीं तो और क्या है? आपने उस समय तमाम परिदृश्य की तर्कपूर्ण समीक्षा प्रस्तुत की थी और भविष्य का आकलन भी सही किया था. उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में जहां हर जाति प्रजाति, अल्पसंख्यक वर्ग तथा अन्यान्य तबकों के वोटरों की संख्या हर पार्टी के मुख्यालय में मौजूद रहती है और जिसके आधार पर राजनैतिक दल अपनी स्ट्रेटेजी तय करते हैं, इस बार जातीय समीकरणों से हक्के बक्के हैं.
हम यह कह सकते हैं कि यह भ्रष्टाचार के रूप में जारी सरकारी आतंकवाद के खिलाफ़ एक referendum था. इसमें जात पांत और धर्म जैसे मुद्दों से परे जा कर लोगों ने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ के अनुसार एक साफ़ सुथरी व्यवस्था के लिये निर्णायक वोट दिया जिसने सभी जातिगत और धर्म-अल्पसंख्यक वर्गों के आधार पर बनाये गये समीकरण ध्वस्त कर दिये. निश्चय ही यह एक ऐतिहासिक मोड़ है जहां विषाक्त वातावरण से मुक्त ठंडी हवा के झकोरों से सभी वर्गों को आनन्द की अनुभूति हो रही है.
सूत्र में खालिद जी द्वारा की गयी भविष्यवाणी भी सत्य साबित हुयी है जिसके अनुसार नितीश जी को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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