Re: बेगानी लड़ाई में पाक फिर होगा 'दीवाना'?
राजनीतिक वजह
पाकिस्तान की सऊदी अरब को मदद से इंकार करने की संभावना राजनीतिक और कूटनीतिक कारणों से कम है.
इसके पीछे बड़ी वजह ये है कि सऊदी अरब का पाकिस्तान की राजनीति पर बाहरी तौर पर तो नहीं लेकिन भीतरी तौर पर काफी असर रहता है.
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के ज़माने में भी सऊदी अरब का काफी असर रहा.
1999 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की सरकार के तख़्तापलट के समय भी शरीफ़ की जान बचाने में सऊदी अरब ने मदद की और उन्हें अपने देश में पनाह दी.
नवाज़ शरीफ से जुड़े इस बेहद निजी पहलू के कारण पाकिस्तान मदद से कैसे मना करे, ये भी एक सवाल है.
समर्थन और विरोध
पाकिस्तान के सऊदी अरब की मदद के लिए फ़ौज भेजने की बात पर कुछ समूह साथ हैं तो कुछ इसका विरोध कर रहे हैं.
पाकिस्तान में सत्ताधारी पार्टी पीएमएल-नवाज़ के राजनेता चाहते हैं कि सऊदी अरब की मदद की जाए. फ़ौज की तरफ़ से भी ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई कि पाकिस्तान जंग से दूर रहे.
देश में जमात-उद-दावा या लश्कर-ए-तैयबा, अहले सुन्नत वल जमात जैसी सुन्नी कट्टरपंथी ताक़तें हैं, देवबंदी पार्टी या एहले-हदीस की पार्टी जैसे वहाबी सोच रखने वाले लोग फ़ौज भेजने के समर्थन में हैं.
लेकिन बरेलवी या शिया लोग या तो जंग में शामिल होने के ख़िलाफ़ हैं या फिर एक मध्यम मार्ग चाहते हैं, यानि सोच समझ कर जंग में कदम रखने के पक्ष में हैं.
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