Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by dr.shree vijay
ये क्या उठाये क़दम और आ गई मन्ज़िल,
मज़ा तो जब है कि पैरों में कुछ थकन रहे........
राहत इन्दौरी .....
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तेरे दिल में रहे मंज़िल का शजरा पांव में राहें
चलेगा जिस घड़ी मंज़िल तुझे खुद ढूंढ लाएगी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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