क्या ये मेरा गुनाह है?
क्या ये मेरा गुनाह है? की मैं राम रहीम ईशा मसीह की प्रतिमा में एक ही दिव्या सत्ता के दर्शन करती हूँ ?एक दिव्य ज्योति के ही दर्शन करती हूँ जैसे हम इंसानों के अलग अलग नाम और शरीर हैं वैसे ही भगवान के अलग अलग स्वरूप हैं और अलग अलग नाम हैं, तो क्या यदि हमारे अलग अलग नाम और स्वरूप हैं तो हम इंसान बंट जातें है क्या हम इंसान नहीं कहलाते ? वैसे ही इस दिव्य सत्ता के भी अनेक स्वरुप और नाम हैं तो उन्हें भगवान कहें या अल्लाह या ईशा मसीह कहें वो एक दिव्य सत्ता जो सर्वोपरि है वो सर्वोपरी ही रहेगी न ? सर्वोच्च है तो है उसे फिर आप अल्ल्लाह कहो , ईशा मसीह कहो या कुछ भी नाम से पूजो वो दिव्य सत्ता ही सर्वोच्च रहेगी ..
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