Thread: पिता
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Old 14-01-2015, 02:19 PM   #2
DevRaj80
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Default Re: पिता

आशीष पिता के


भरी धूप में छाँव सरीखे
तूफ़ानों में नाव सरीखे
खुशियों में सौ चाँद लगाते
साथ-साथ आशीष पिता के

हाथ पकड़ कर
भरी सड़क को पार कराते
उठा तर्जनी
दूर कहीं गंतव्य दिखाते
थक जाने पर गोद उठाते
धीरे-धीरे कोई कहानी कहते जाते
साथ-साथ आशीष पिता के

दिन भर खटते
शाम ढले पर घर को आते
हरे बाग में खेल खिलाते
घास काटते
फूलों को मिल कर दुलराते
तार जोड़ते नल सुधराते
साथ-साथ आशीष पिता के
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .

तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...

तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..

एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,

बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..

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