Re: पिता
वेद की वह पवित्र किताब है पिता, जिसमें लिखी हैं पुरखों के परिचय की ऋचाएं, जिसे पढ़कर जाना जा सकता है मनुष्य का जन्म, जिसकी आंखों में झांककर देखा जा सकता है आदम का रूप। जो अपनी संतान के लिए ढोता है पीड़ाओं का पहाड़, दर्द के हिमालय लेकर दौड़ता है रात-दिन, लेकिन उफ्* तक नहीं करता। अपनी नींद गिरवी कर संतान के लिए घर लाता है चुटकीभर चैन।
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...
तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..
एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,
बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..
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