मै उस पुराने दौर में चला जाता हुं जो कभी देखा ही नहीं है। विध्या सिंहा अब चाहे कैसी भी दिखती हो, कुछ भी करती हो...मैने तो उस दीपा को ही सत्य मान लिया है। वह सादी सी शर्मीली लडकी और उसके खोए खोए से खयाल। उसकी बेहद, बेहद खुबसुरत आंखे और उतनी ही सुंदर साडीयां। उसके लंबे बाल और मीठी मुस्कान। संजय का बेफिक्रपन, व्यवहार, नवीन के प्रति उदारता, ओफिस का टेन्शन, कितना एक्सेप्टेबल/स्वीकार्य है!