मुल कहानी और फिल्म में फर्क तो होता ही है। संजय के केरेक्टर को यहां नवीन की लंबाई का कर दिया गया है। ईरा की बच्ची फिल्म में नहीं है। उसका व्यक्तित्व मुंबईया दिखाया गया है। नवीन को एड फिल्म का डिरेक्टर दिखाया गया है। फिर भी सब कुछ एकदम यथायोग्य है,स्वयं मनु भंडारी भी यह बात तो मानेंगे।